एनटीपीसी झनोर में स्टूडेंट्स के लिए विशेष डिजिटल डिटॉक्स सत्र का हुआ आयोजन


आह्वान पॉलिसी के अंतर्गत, एनटीपीसी झनोर के स्वस्थ्यम हॉस्पिटल ने बाल भारती पब्लिक स्कूल में “डिजिटल डिटॉक्स सेशन” का आयोजन किया। इस जागरूकता सत्र का नेतृत्व वरिष्ठ चिकित्सक अधिकारी डॉ. विवेक शर्मा ने किया। डॉ. शर्मा ने कहा, “मोबाइल एक उपयोगी उपकरण है, लेकिन जब वह हमारी दिनचर्या और मानसिकता पर हावी हो जाए, तो यह धीरे-धीरे हानिकारक साबितहो सकती है।” उन्होंने बताया कि मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से मानसिक तनाव, एकाग्रता की कमी, सोशल एंग्जायटी, FOMO (Fear of Missing Out) और Nomophobia (मोबाइल न होने का डर) जैसी मानसिक बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं।
उन्होंने छात्रों को बताया कि डिजिटल लत के कारण स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है, सार्वजनिक रूप से बोलने की क्षमता प्रभावित होती है और आत्म-प्रस्तुति में झिझक आने लगती है। शारीरिक रूप से यह आंखों में जलन, गर्दन दर्द, नींद में बाधा और खराब पोस्चर जैसी समस्याओं को जन्म देता है — जो भविष्य में गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं।
महत्वपूर्ण सुझाव और व्यवहारिक मार्गदर्शन:
डॉ. शर्मा ने बताया कि —
• मोबाइल का उपयोग प्रतिदिन 2 घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए।
• 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मोबाइल बिल्कुल नहीं देना चाहिए।
• स्क्रीन टाइम की जगह छात्रों को खेल-कूद, कला, संगीत, पढ़ाई और पारिवारिक संवाद जैसी गतिविधियों को अपनाना चाहिए।
उन्होंने यह भी जोर दिया कि शारीरिक गतिविधियाँ, जैसे योग, दौड़, आउटडोर गेम्स न केवल शरीर को स्वस्थ रखती हैं, बल्कि मानसिक स्थिरता और आत्मविश्वास को भी मज़बूत बनाती हैं। डॉ. शर्मा ने सत्र का समापन इन शब्दों के साथ किया: “तकनीक पर अधिकार रखें, तकनीक को अपने ऊपर हावी न होने दें। संतुलित उपयोग ही सच्चा विकास है।” छात्रों ने इस सत्र में उत्साहपूर्वक भाग लिया। सत्र के दौरान बालभारती पब्लिक स्कूल के प्राचार्य श्री कल्पेश कायस्थ एवं शिक्षकगण मौजूद रहे। एनटीपीसी झनोर की यह पहल न केवल एक जागरूकता सत्र थी, बल्कि आने वाली पीढ़ी को एक स्मार्ट और संतुलित डिजिटल जीवन जीने की दिशा में पहला ठोस कदम था।




